खण्डवा। खंडवा जनपद की ग्राम पंचायत शिवना में काफी समय से मनरेगा के कार्यो में फर्जी मजदूर की उपस्थिति दिखाते हुए, फर्जी मस्टर के आधार पर राशी का आहरण करने की बात सुनने को मिल रही थी। जब हमारी टीम के लोग मौके पर इसकी सत्यता परखने के लिए मौके पर पहुंचे तो मौके पर एक भी मजदूर मौजूद नही था। जिसके बाद ग्रामीणों से मजदूरों और चल रहे मनरेगा के कार्यो के विषय मे पूछने पर उन्होंने बताया की, 7 जून 24 से आरंभ कर 15 जुलाई 24 को कार्य करना बन्द कर दिया गया। पर यह सब कागजों पर हुआ है।
कार्य स्थल जहां एक भी मजदूर नही
मजदूरों की फर्जी तरीके से मस्टर रोल भरकर उपस्थिति दर्जकर 185 संख्या तक मजदूर की ऑनलाइन उपस्तिथ होना बताया पोर्टल पर पाया गया था।
जबकि मौके पर हकीकत कुछ और ही थी। ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज संख्या मजदूरों की 185 दिख रही थी, जो कि गलत और फर्जीवाड़े की तरफ कही ना कहीं इसारा कर रही है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि यह फर्जी मजदूर कार्य स्थल पर मौजूद थे नही तो उपस्थिति दर्ज कर शासन की राशि का दुरुपयोग करने का हक अधिकार मेट, रोजगार सहायक, सचिव को किसने दिया ? आखिकार किसके संरक्षण में रोजगार सहायक सचिव सरपंच यह सब कागजों पर बंदरबांट का खेल, खेल रहे हैं।
फर्जी तरीके से मोब० से फोटो अपलोड
कही राशि की बंदरबाट करने की प्लांनिग तो नही कर रहे थे जिम्मेदार ? एक बड़ी जांच का विषय बना है यह सवाल ? जिसकी जांच होना अति आवश्यक है । नही तो ऐसे में हर ग्राम पंचायत में शिवना ग्राम पंचायत की तरह भ्रष्टाचार करने वाले मेट,रोजगार सहायक अनिल पाटीदार, सचिव शिवशंकर यादव , कुकुरमुत्ते की तरह पनपने लगेंगे।
ग्रामीणों ने शिकायत की तो अपनी मर्जी का मेट कांतिलाल मालाकार, को बदलकर दूसरे मेट विकास मोरे को स्थान दिया गया। जिसको स्वयं ही अपने पद का ज्ञान नही , उस भोले भाले व्यक्ति को मेट बनाकर अपना उल्लू सीधा करने में लगे है, रोजगार सहायक अनिल पाटीदार, सचिव शिवशंकर , और सरपंच।
देखते है ख़बर प्रकाशित होने के बाद कुंभकर्णीय निंद्रा में सोए हुए जनपद पंचायत खंडवा के उच्च अधिकारी करेंगे कार्रवाई या देंगे अभयदान।