भोपाल। जबलपुर हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच में उपयुक्त यानि फिट पाए गए 169 नर्सिंग कॉलेजों की दोबारा जांच के निर्देश दिए हैं। मध्य प्रदेश फर्जी नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े मामले में सीबीआई की पुरानी जांच रिपोर्ट को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने अब दोबारा से उन 169 सूटेबल कॉलेज की सीबीआई जांच करने के निर्देश दिए हैं। सीबीआई जांच में सिर्फ 66 नर्सिंग कॉलेजों को अनफिट माना गया था,
31 जिलों के इन 66 अनफिट नर्सिंग कॉलेजों को मप्र के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव के आदेश अनुसार किया जा रहा हैं, ये कॉलेज सिर्फ कागजों पर संचालित हो रहे थे।
इधर उच्च न्यायालय ने कहा कि नर्सिंग कॉलेजों में फर्जीवाड़े की यह जांच सिर्फ सीबीआई के अधिकारी नहीं करेंगे, बल्कि जिन-जिन जिलों में फर्जी नर्सिंग कॉलेज की जांच होगी, वहां के न्यायायिक मजिस्ट्रेट और इन सभी कॉलेजों के संचालक और प्रिंसिपल इस जांच में मौजूद रहेंगे। हाईकोर्ट ने जांच प्रक्रिया में ट्रांसपेरेंसी हेतु यह निर्देश दिए है कि इस पूरी जांच की वीडियोग्राफी भी की जाएगी। साथ ही हाइकोर्ट ने यह भी कहा है कि इस जांच रिपोर्ट की एक कॉपी याचिकाकर्ता को भी दी जाए।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक और अहम फैसला सुनाया है। HC ने कहा कि 2024 25 के लिए जो भी नए कॉलेज मान्यता के लिए रजिस्ट्रेशन करेंगे, वह रजिस्ट्रेशन सरकार के पुराने नियमों के तहत होंगे न की नए नियमों के तहत। आपको बता दें कि इस पूरे फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सरकार ने कुछ नियमों को शिथिल किया था। जिसमें जमीन और कुछ चीजों में छूट दी थी।
इस बात को लेकर भी याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में आपत्ति दर्ज कराते हुए याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल बघेल की ओर से बताया था कि सरकार पुराने नियमों को शिथिल करके फर्जीवाड़े में फंसे कॉलेजों को बचाना चाहती है, इस तथ्य से सहमत होते हुए हाईकोर्ट ने नए कॉलेज के रजिस्ट्रेशन के लिए पुरानी रीति नीति को ही पैमाना माना है।
बता दें इससे पहले यह घोटाला तब जानकारी में आया, जब एक शिकायत के आधार पर 2021 में नर्सिंग कॉलेजों की जांच की गई।
इस शिकायत में कहा गया था कि सिर्फ चार कमरों में नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं। न तो कॉलेज में लैब है और न ही 100 बिस्तर का अस्पताल है. कई कॉलेज में तो एक ही फैकल्टी का नाम लिखा हुआ है। मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच CBI को सौंपी गई। CBI को जांच सौंपने के बाद लगा कि इसमें कोई बड़े खुलासे होंगे, लेकिन जांच कर रहे अधिकारी ही भ्रष्ट निकल गए।
पूर्व हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई की जांच टीम ने प्रदेश के 600 में से 308 नर्सिंग कॉलेजों की जांच रिपोर्ट दी थी।
रिपोर्ट के अनुसार, 308 नर्सिंग कॉलेज में से 169 फिट और 66 अनफिट हैं। इनमें भोपाल के जीएमसी समेत 10 सरकारी हैं। वहीं, 73 कालेज मानक पूरे नहीं कर रहे हैं। इसी के चलते नर्सिंग काउंसिल ने सभी 66 अनसूटेबल पाए गए नर्सिंग कॉलेज की सभी सत्रों और पाठ्यक्रमों की मान्यता निरस्त कर दी है। एमपी नर्सिंग घोटाला मामले में 23 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। जिसमें से 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार लोगों में सीबीआई के अधिकारी भी हैं। जिसमें से एक को बर्खास्त दिया है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपात्र नर्सिंग कॉलेजों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री के आदेश अनुसार मध्यप्रदेश के 31 जिलों में 66 नर्सिंग कॉलेजों को बंद किया जा रहा हैं, ये कॉलेज सिर्फ बहुत जबरदस्त अनियमितता के साथ संचालित हो रहे थे।
इस फर्जीवाड़े मामले में विभाग की ओर से चुप्पी साध ली गई है। वहीं सरकार का कहना है कि CBI अपनी जांच कर रही है। किसने घोटाला किया और कब किया ये सब जांच में सामने आ जाएगा, लेकिन सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलती है, जिसका मतलब है कि अपराधी जो भी हो, सलाखों के पीछे जरूर जाएगा।
इस मामले में विपक्षी कांग्रेस का आरोप है कि ये तो व्यापम से भी बड़ा घोटाला है जांच सबसे पहले इस बात की होनी चाहिए कि आखिर इन फर्जी कॉलेज को अनुमति किस मंत्री ने दी। अब उन बच्चों के भविष्य का क्या होगा, जिन्होंने तीन साल से परीक्षा ही नहीं दी है। इस घोटाले में सवाल उन एक लाख स्टूडेंट्स का है, जो नर्सिंग कॉलेज में पढाई कर रहे हैं। तीन वर्षों से परीक्षा नहीं होने के कारण आज भी वो फर्स्ट ईयर में ही हैं।