चुनावी बाजार में सजने लगी है दुकानें
मध्य प्रदेश में एक बार फिर से चुनावी बाजार गुलज़ार होने लगा है। लोक लुभावन नारे और योजनाओं के जरिए प्रत्येक पार्टी अपनी अपनी दुकान में सजाने में लगी है। मतदाताओं से रिश्तेदारी के सिंहासन की सीढ़ी चढ़ने दिन दुगनी रात चौगुनी तेजी लाई जा रही है। लोकलूभावन योजनाओं और वचनों के जरिए सत्ता के समीकरण ज़माए जा रहे हैं। राजनीतिक दल एक दूसरे को पटखनी लगाने का कोई मौका नहीं छौड़ रहे हैं। प्रत्येक पार्टी में मतदाता का गला कांटू स्पर्धा चल रही है। इस परिदृश्य के बीच लाख टके का सवाल यह है कि , अबकी बार मतदाता किसपर भरोसा करेंगे खरीदने वालो पर , या बिकने वालो पर ?
महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ी –
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में आम जनता की यही दरकार थी की इस कमर तोड़ महंगाई से कुछ हद तक उन्हें राहत मिलेगी। लेकिन यह सिर्फ सपना मात्र ही रहा। जिससे कि आज आम आदमी के किचन में आग लगी हुई है।
जिस रफ्तार से आज मंगाई बढ़ रही है उसने तो आम आदमी की कमर ही तोड़ रखी है। गरीब की थाली से तो दाल तक ही नदारत हो चुकी है। दलहन तिलहन तो छोड़िए गैस सिलेंडर तक में हाहाकार मचा रखा है। इससे आम जनमानस में खासी नाराजगी बढ़ रही है। यह नाराजगी किसकी नहीं है डुबाएंगी और किसकी नैया पार लगायेगी यह देखना दिलचस्प होगा।
टिकट के लिए अपनो से जंग –
सर पर आ चुके चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में टिकट को लेकर मारामारी का माहौल दिखाई दे रहा है। सट्टा का नशा सर पर चढ़कर बोल रहा है। हर सीट पर एक अनार सौ बीमार की कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। हर राजनीतिकदल में टिकट के दावेदारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिसमें अंतरकलह भी नजर आ रही है। जो रोज नए समीकरण बना और बिगाड़ रही है। हालात यह है कि चुनाव से पहले टिकट के लिए जंग हो रही है वह भी अपनो से ।