नई दिल्ली (एजेंसी)। तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई 2024 से लागू हो जाएंगे. सरकार ने शनिवार (24 फरवरी) को इससे जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी है. यानी अब इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा।
नए कानून के लागू होने के बाद जो धाराएं अपराध की पहचान बन चुकी थीं, उनमें भी बदलाव होगा. जैसे हत्या के लिए लगाई जाने वाली आईपीसी की धारा 302 अब धारा 101 कहलाएगी. ठगी के लिए लगाई जाने वाली धारा 420 अब धारा 316 होगी. हत्या के प्रयास के लिए लगाई जाने वाली धारा 307 अब धारा 109 कहलाएगी. वहीं दुष्कर्म के लिए लगाई जाने वाली धारा 376 अब धारा 63 होगी। हालांकि, हिट एंड रन केस का संबंधित प्रावधान तुरंत लागू नहीं होगा. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने जनवरी में कहा था कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) को लागू करने का फैसला अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) से सलाह के बाद ही लिया जाएगा।
क्या था हिट एंड रन केस का प्रावधान –
ट्रक ड्राइवरों ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) के प्रावधान का विरोध किया था. साथ ही पूरे देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन करते हुए हड़ताल की थी. इस धारा में प्रावधान है कि यदि किसी ड्राइवर की तेज रफ्तार ड्राइविंग से किसी राहगीर की मौत हो जाती है. और ड्राइवर बिना पुलिस में रिपोर्ट किए भाग जाता है, तो यह अपराध गैर इरादतन हत्या की कैटेगरी में आएगा. साथ ही आरोपी ड्राइवर को 10 साल की कैद और 7 लाख रुपए जुर्माने की सजा होगी। ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्टरों ने 30 दिसंबर 2023 को जयपुर, मेरठ, आगरा एक्सप्रेस वे सहित कई हाईवे पर हिट एंड रन कानून के प्रावधान के खिलाफ विरोध शुरू किया था. जो 2 जनवरी को एआईएमटीसी से चर्चा के बाद खत्म हुई थी।
सशस्त्र विद्रोह करने और देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर जेल
बिल पेश करते हुए दिसंबर में लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह कानून, जिसके चलते तिलक, गांधी, पटेल समेत देश के कई सेनानी कई बार 6-6 साल जेल में रहे. वह कानून अब तक चलता रहा. राजद्रोह की जगह उसे देशद्रोह कर दिया गया है, क्योंकि अब देश आजाद हो चुका है, लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है। शाह ने कहा था- अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. अगर कोई सशस्त्र विरोध, बम धमाके करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, उसे आजाद रहने का हक नहीं, उसे जेल जाना ही पड़ेगा. कुछ लोग इसे अपनी समझ के कपड़े पहनाने की कोशिश करेंगे, लेकिन मैंने जो कहा उसे अच्छी तरह समझ लीजिए. देश का विरोध करने वाले को जेल जाना होगा।
बच्ची से रेप के दोषी को फांसी की सजा –
पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है, उसमें धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है. गैंगरेप को भी आगे रखा गया है. बच्चों के खिलाफ अपराध को भी आगे लाया गया है. मर्डर 302 था, अब 101 हुआ है. 18 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप में आजीवन कारावास और मौत की सजा का प्रावधान है. गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल।
3 विधेयकों से यह बदलाव हुए –
कई धाराएं और प्रावधान बदल गए हैं. आईपीसी में 511 धाराएं थीं, अब 356 बची हैं. 175 धाराएं बदल गई हैं. 8 नई जोड़ी गईं, 22 धाराएं खत्म हो गई हैं. इसी तरह बीएनएस में 533 धाराएं बची हैं. 160 धाराएं बदली गईं हैं, 9 नई जुड़ी हैं, 9 खत्म हुईं. पूछताछ से ट्रायल तक सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करने का प्रावधान हो गया है, जो पहले नहीं था. सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम 3 साल में देना होगा. देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं. इनमें से 4.44 करोड़ केस ट्रायल कोर्ट में हैं. इसी तरह जिला अदालतों में जजों के 25,042 पदों में से 5,850 पद खाली हैं।
भारतीय न्याय संहिता में क्या बड़े बदलाव हुए –
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में 20 नए अपराध जोड़े गए हैं।
ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, हिट एंड रन, मॉब लिंचिंग पर सजा का प्रावधान।
डॉक्यूमेंट में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं।
आईपीसी में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया गया है।
33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ा दी गई है।
83 अपराधों में जुर्माने की सजा बढ़ा दी गई है।
छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।