# BJP का कांग्रेसीकरण….कांग्रेस मुक्त भारत का सपना दिखाकर केंद्र की सत्ता हासिल करनेवाले नरेंद्र मोदी ने 2014 के बाद जिस तरह से बीजेपी का कांग्रेसीकरण किया है, वह अब संघ-बीजेपी के मूल समर्थकों की नाराजगी बढ़ा रहा है ?
संघ से आए अनेक वरिष्ठ नेताओं को सियासी संन्यास आश्रम का दिखाया रास्ता –
मोदी टीम ने संघ से आए अनेक वरिष्ठ नेताओं को सियासी संन्यास आश्रम में भेज दिया, बीजेपी के कई पुराने स्टार प्रचारकों को पार्टी से बाहर कर दिया, तो कई अन्य दलों से आए भ्रष्ट नेताओं को सत्ता में सम्मानजनक स्थान दे दिया, यही नहीं…. गौहत्या विरोधी कानून, चीनी सामान विरोधी स्वदेशी आंदोलन आदि को भी ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया है!
जाहिर है, इससे संघ और बीजेपी के मूल समर्थक खुश नहीं हैं और इनकी नाराजगी आने वाले इस लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम मोदी को भारी पड़ेगी ?
ऐसे ही कांग्रेसीकरण हुआ, तो बीजेपी में अल्पसंख्यक हो जाएंगे मूल भाजपाई ?
भाजपा की आलाकमान जिस तेजी से बीजेपी का कांग्रेसीकरण कर रही है, नतीजा यह है कि मूल भाजपाइयों का प्रतिशत लगातार कम हो रहा है और आनेवाले समय में बीजेपी में ही अल्पसंख्यक हो जाएंगे मूल भाजपाई !
इसके कई ऐसे परिणाम होंगे जो बीजेपी की सियासी साख को धक्का पहुंचाएंगे….
– मोदी टीम ने संघ पृष्ठभूमि वाले आडवाणी जैसे अनेक बीजेपी नेताओं को पहले ही सियासी संन्यास आश्रम में भेज दिया है।
– कांग्रेस से बीजेपी में आए भ्रष्ट नेताओं की संख्या और असरदार भूमिका लगातार बढ़ रही है, जबकि मूल भाजपाइयों की भूमिका कमजोर पड़ रही है।
– बीजेपी के कांग्रेसीकरण से जहां संगठन पर मोदी टीम की पकड़ मजबूत होती जा रही है, वहीं, संघ पृष्ठभूमि के मूल भाजपाइयों का असर कम हो रहा है.
– कांग्रेस के असंतुष्ट बीजेपी में आ रहे हैं, जिनका बीजेपी को कोई खास फायदा तो होना नहीं है, उल्टे कांग्रेस में असंतोष खत्म होगा, यही नहीं, नतीजों ने बता दिया है कि नेता भले ही दल बदल लें, सियासी समीकरण नहीं बदल सकते हैं।
सबसे बड़ी बात- इस बात की क्या गारंटी है कि सियासी समय बदलने पर ये दलबदलू नेता बीजेपी को नहीं छोड़ेंगे ?
सियासी सयानों का मानना है कि….मोदी टीम ने बेहद सियासी चतुराई से संघ के सिद्धांतों को एक तरफ कर दिया है और बीजेपी का कांग्रेसीकरण करके मूल भाजपाइयों को लगातार कमजोर किया है, लिहाजा यह देखना दिलचस्प होगा कि 2024 में संघ और बीजेपी के मूल समर्थक अपना वैचारिक-सैद्धांतिक अस्तित्व बचा पाते हैं या नहीं ?
जनसंघ खत्म करके जनता पार्टी बनी थी, अटल-आडवाणी ने तोड़कर बीजेपी बनाई, मोदी-शाह ने कांग्रेस नेता लेकर फिर से ’जनता पार्टी’ बना दी है, भाजपाइयों का एकाधिकार खत्म? कभी भी कांग्रेसी अधिग्रहण कर लेंगे? भाजपाई जिन्हें गाली देते थे, उनके लिए दरी बिछाएंगे ?
दलबदल की ‘सियासी वेश्यावृत्ति’ रोकने के लिए नार्को टेस्ट जरूरी है ?
दलबदल की सियासी वेश्यावृत्ति बेशर्मी से लगातार बढ़ती जा रही है, नतीजा यह है कि चुनाव में मतदाताओं के फैसले ही बेमतलब होते जा रहे हैं ? इसी का नतीजा है कि जनता के बीच बड़े-बड़े राजनेताओं का सियासी भरोसा लगातार टूटता जा रहा है, जिस तरह से देश में धूर्त राजनेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है, उसके मद्देनजर देश के प्रमुख पदों पर बैठे राजनेताओं का भी पदभार ग्रहण करते समय नार्को टेस्ट होना चाहिए, ताकि देश जान सके कि उनका असली मकसद क्या है ?
पिछले लंबे समय से जिस तरह से बड़े-बड़े पदों पर बैठे राजनेता बेशर्मी से झूठ बोल रहे हैं, झूठे वादे कर रहे हैं, झूठे संकल्प-पत्र, घोषणा-पत्र जारी कर रहे हैं, इसके मद्देनजर चुनाव जीतकर बड़े पद पर शपथ लेनेवाले नेताओं का शपथ ग्रहण से पहले नार्काे टेस्ट होना ही चाहिए, ताकि जनता जान सके कि ऐसे नेताओं का असली मकसद क्या है? सेवा या मेवा ?
शिवराज सिंह चौहान की राह में सियासी कांटे काहे बिछाए जा रहे हैं ?
सियासी सयानों का मानना है कि यदि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सियासी ताकत इसी तरह बढ़ती रही, तो…. पीएम नरेंद्र मोदी की विदाई के बाद अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाना आसान नहीं रहेगा, यही वजह है कि- शिवराज सिंह चौहान की राह में लगातार सियासी कांटे बिछाए जा रहे हैं?